Monday 11 June 2007

दादा तोमरजी का हाथ से..ठूंठ का ठाठ


नरेन्द्रसिंह तोमर मालवी का लाड़का लोक-गीत गायक हे.वणाको नाम आयो नी के आपका मन में गजानंद भगवान को ऊ लोक-गीत याद अई जावे हे जींके आपने विविध-भारती ओर मालवा हाऊस से खूब सुण्यो हे...गवरी रा नंद गनेस ने मनावां..दादा तोमर जी अबे अस्सी पार का हे ओर रामजी की किरपा से स्वस्थ हे ने परदादा वई ग्या हे.दादा देस की आजादी का आंदोलन में भी खूब काम कर्यो.पेला आजादी का वास्ते गीत गाता था,पछे मीरा,सिंगाजी,गोरख,कबीर का लोकगीत गावा लग्या.खूब प्रेम मिल्यो मालवी लोगां को.अबे इकतारा का साथे एक नयो काम दादा ने ली ल्यो हे.दादा को दूसरो रूप एक खालिस किसान को भी हे.तो खेत मे एक दानो(वृध्द) दरख्त काट्यो.नरी(बहुत सी) शाखा,जडा़ निकली ने वणाक अलग अलग रूप इण रूखडा़ और ठूंठ मे देखाया.ईंका पेला एक बार कला गुरू श्री विष्णु चिंचालकर भी दादा तोमर जी का खेत पे ग्या था ने कियो थो कि तोमर तम इण रूखड़ा होण और ठूंठ में ध्यान से देखो केसा केसा सुंदर रूप बणे हे..चरकली बणे हे,घोडो़ बणे हे और तो और डायनोसोर भी बणे हे..तो दादा तोमर जी के बात जंची गी साब..दाद भिड़ ग्या काम में . आप विश्वास नीं करोगा कि दादा तोमर जी का हाथ से दो सो से जादा कला-कृतियां तैयार वई गी हे.दादा का हाथ से इण ठूंठ को ठाठ देखणे जेसो हे....दादा को काम देखवा वास्ते इन्दौर से बीस कोस दूर कम्पेल गांव
का पेला पिवड़ाय आवे हे .आप वठे जई के दादा का खेत पे यो दुर्लभ काम देखी सको हो.दादा तोमर जी को जुनून ने जिद रंग लई री हे ....मालवी जाजम का इण चिट्ठा पे दादा तोमर जी का काम को स्लाइड शो आप देखी सको हो.

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