Tuesday 30 August 2011

अन्नाजी को चिट्ठी,गणेश वंदना और साथ-साथ तीन त्योहार !










एक चिट्ठी अन्नाजी का नाम:


अन्ना बा सा. आपये रामलीला पे अनशन करी के सरकार के चेतई दियो हे. लोग पूछी रिया हे कि यो करिश्मो कसतर वई ग्यो. तो वणाने नगे कोनी कि यो देश संताँ का पाछे चाल्यो हे. वेंडा लोग यूँ भी के हे कि अन्ना बा के कोई इनाम/इकराम चैये वेगा.म्हें क्यो बापू अन्ना बा वणी रामजी का देश का पूत हे जठे राते तै वे हे कि रामजी राजगादी पे बिराजेगा ने हवेरे राजा दशरथ का केवा पे वी राजपाठ छोड़ी के जंगल में रवाना वई जावे हे. म्हें अपणा अणी थानक आड़ी ती एक खास अर्जी आपके भेजी रियो हूँ.भ्रष्टाचार को अलख तो अब जगी ग्यो हे. इण्डिया गेट पे आपये जो मजमो जमायो हे वसो अपणी आजादी की पन्दरमी तारीख और गणतंत्र दिवस छब्बीस जनवरी का दन भी वेणो चावे हे. ई दोई उच्छब में आम-आदमी आवे कोनी. अणी दनाँ ने एक सरकारी छुट्टी ती ऊपर उठणो चईजे. ईंका अलावा राष्ट्रीय विपत्ति (भूकंप/बाढ़/आतंकवादी हमला) का टेम जवान छोरा-छोरी दस्ता का दस्ता रक्तदान और जनसेवा वाते हाजिर वेणा चईजे. जतरा भी नागरिक अलंकरण (भारत-रत्न,पद्मभूषण,पद्मश्री)देणा वे वणी की फ़ेहरिस्त सरकारी वैबसाइट पे जारी वेणी चावे.देश का लोग तै करे कि अणी बरस का बहुमान को साफ़ो कणी का माथा पे बंधेगा. पुरस्कार में राजनीति को काम खतम वई सके तो यो आपको घणो म्होटो कारनामो वेगा. सरकारी भ्रष्टाचार को इलाज तो आप करई दोगा पण आम आदमी का मन में भी कानून-क़ायदा ती काम करवा की भावना आवे यो अलख भी जगणो चईजे. नी तो पंद्रे-बीस दन बाद अन्ना की टोपी फ़ैंकी के फ़ेर बेईमानी की कारगुजारी में आदमी भिड़ जावेगा. इण राष्ट्रीय महत्व का विषय बाबत तो आपको ध्यान जाणो चावे हे पण ९वीं – १० वीं कक्षा में मिलेट्री ट्रेनिंग,मूँगा ब्याव का जमावड़ा, रसोई में अन्न की बर्बादी,दहेज कुरीति और भ्रूण परीक्षण जैसा गंभीर विषय पे भी आप युवा भाई-बेन को ध्यान दिलई सकोगा तो अपणा भारत की तस्वीर बदली जावेगा.अबे गाँधी बाबा का बाद आप अपणा देस में आशा की नवी किरण लाया हो और अणी सूता देश का जवान छोरा-छोरी के रस्तो दिखावा को काम भी आपके करणो पड़ेगा.म्हाने पूरी उम्मीद हे कि आपका साया में नवी पीढ़ी को मार्गदर्शन वई सकेगा. आपको १३ दन को उपवास बेकार नी जाणो चावे हे. म्हें चावा हाँ कि राष्ट्रपेम को यो दिवलो वळतो रे.


तोमर दादा का गवरी रा नंद:

एक जमानो थो कि मालवा हाउस (आकाशवाणी इन्दौर-भोपाल) ती आपके दादा नरेन्द्रसिंह तोमर की मीठी आवाज़ में गजानद भगवान को बधावो गीत बजतोज रेतो थो. विविध भारती का लोक-संगीत कार्यक्रम में भी गवरी रा नंद गणेश ने मनावाँ की खासी धूम थी. १ सितम्बर का दन गणेशजी की पधरावनी वई री हे ने वी मालवा-निमाड़ में गाजा-बाजा ती बिराजेगा. धुर में लट्ठ का थानक पे या खास फ़रमाईस अई की कि दादा तोमर जी को यो मालवी लोकगीत लोगाँ के चावे,तो लो साब हाजिर हे. अणी के काटी लो और आखा दस दन गजानन्दा की आरती का टेम आप भी गावो:


गवरी रा नंद गणेश ने मनावाँ हो,गणेश ने मनावाँ हो जी
थारी गेरी गेरी थापणा थपावाँ हो, थाने रूड़ा रूड़ा काज तो सँवारिया

सोना चाँदी की हमतो ईंट घड़ावाँ ;देवा ईंट तो बणावाँ हो जी
थारो गेरो गेरो मंदर बणावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

केसर कस्तूरी को घोलण घोळावा;देवा लीपण बनावाँ हो जी
थारो गेरो मंदर लिपावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

ज्ञान फ़ूलाँ को हमतो गजरो बणावाँ,गजरो बणावाँ हो जी
थाने मोत्यारा चोक पुरावा; गणेश ने मनावाँ हो जी

गंगा-जमना को नीर मंगावाँ देवा नीर तो मंगाँवा हो जी
थाने कोरा,कोरा कळश्या भरावाँ; गणेश ने मनावाँ हो जी

सात सहेल्या मिल,मंगल गवाडाँ देवा मंगल गवावाँ हो जी
थाने झबलक दिवलो संजोवा हो गणेश ने मनावाँ हो जी

असली पारस की मूरत घड़ावाँ देवा मूरता घड़ावाँ हो जी
थाने लाडू रा भोग लगावाँ, गणेश ने मनावाँ हो जी

सत का सरणा में गोरख बोल्या देवा गोरख बोल्या हो जी
थाने गेरा गेरा सबद सुणावा, गणेश ने मनावाँ हो जी






अपणो प्यारो देस;न्यारी ईंकी तहजीब:

अपणी भारत माता की शान निराली हे.यो ऊज वतन हे जठे रमजान,पर्युषण और गणेशोत्सव हाते-हाते अई रिया हे. गंगा-जमनी तहजीब को यो मुल्क म्हाने या सीख देवे हे कि म्हे जुदा-जुदा धर्म,जात और परम्परा का लोग प्यार-मुहब्बत को गीत गई सकाँ हाँ. अणी समन्वय की संस्कृति के जिंदा राखणो अपण हगरा लोगाँ को फ़र्ज़ हे. धुर में लट्ठ आपने अरज करे हे कि आप जैन वो तो मुसलमान भई ने ईद की,मुसलमान वो तो हिंदू भई-बेन ने गणेसोत्सव की बधई एक-दूसरा के दो और देखो दीगर मजहब में आपकी कसी न्यारी इज्जत वणे हे. म्हने उम्मीद हे कि आप म्हारी वात पे विचार करोगा और महान शायर इकबाल सा की अणी पंक्ति के सई साबित करोगा “सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्ताँ हमारा”

Tuesday 23 August 2011

संजय पटेल को धुर में लट्ठ > नवी मालवी कड़ी !



जीवन की खुशी की पासबुक:
नवा जमाना का दो छोरा छोरी को ब्याव वियो.छोरी की माँ ये बिदई में एक नवा बैंक खाता की पास बुक दी ने हजार रिपया जमा करई दिया. बेटी के ताकीद कई कि या म्हारी आड़ी ती नवा लाड़ा-लाड़ी वाए नेगचार हे. जद भी थाँकी जिन्दगी कोई खुसखबर आवे,जतरा वई सके पईसा जमई करई सको.ध्यान राखजो,जतरी बड़ी खुसी वतरा जादा पईसा.जद थें अणी पास बुक ने दस-बीस साल बाद देखोगा तो थाँने गुमान वेगो कि कतरी खुशी थें दोई का जीवन में अई थी. टेम बीतवा लागो;पाँच-छे वरस बाद वणाकी पास-बुक में असी नोंद(एंट्री): व्याव की पेली सालगिरह:१०००/-बेटी की पेली तनखा वदी: ५००/-,जमईजी ko को प्रमोशन:२०००/-परदेस में छुट्टी बितई:२०००/-
बेटी वी:५०००/-कई वरस बीत ग्या.दोई में मनमुटाव सुरू वई ग्यो. दोई एक दूसरा ती कुटावा लाग ग्या.पुरानो प्रेम गुमी ग्यो.दोई सोचवा लग्या कि ब्याव करी के गलती वई गी. दोई सोच्यो के अबे तलाक लई लेणो चईजे. छोरी ये माँ ती बात कीदी. माँ बोली कई वात नी,मन नी मिले तो हाते क्यूँ रेणो. पण एक काम करो कि म्हने जो पास बुक थाँने दी थी वणी खाता में ती हगरा पईसा निकाली लो.जद हाते नी रेणो तो जाइंट अकांउट कई काम को.दोई खातो बंद करावा का वास्ते बैंक ग्या. वठे भीड़ घणी. काउंटर पे उबा-उबा दोई ये सोच्यो चलो आज अणी पास बुक की जतरी एंट्री हे वणी पे एक नजर न्हांक लाँ. जतरी रिपया जमा कर्या था वणी का पाछे एक खुसी थी. वा खुसी बीतता टेम में खोवई गी थी. एंट्री देखता-देखता वा खुसी जाणे दोई का हामे अई ने ऊबी वईगी. दोई की आँख्याँ भींजी गी.मैनेजर साब बोल्या अई जाओ;बंद करी दूँ.दोई बोल्या नी खातो नी बंद करनो हे खातो चालू रखनो हे.दोई ये खाता में ५०००/-रिपया जमा कराया ने पास बुक की वणी एंट्री पे लिख्यो जीवन भर साथ रेवा की खुशी.

या देशप्रेम की आंधी:
आखा देस में एक नवो तूफ़ान अई ग्यो हे. भ्रष्टाचार का खिलाफ़ आवाज उठावा वास्ते आम आदमी सड़क पे हे. अन्ना बा वठे रामलीला मैदान पे जम्या हे ने वणाको अनशन जारी हे.आजादी का बाद यो पेलो मोको हे जद आप,म्हें हगरा सोची रिया हे कि यो मुलक अपणो हे.देशप्रेम की आँधी चली री हे. फ़िरंगीहोण का जावा का बाद यो पेलो मोको हे जद एक दूसरो गाँधी बाबो देशप्रेम को अलख जगई रियो हे. अब यो कतरो सई हे-गलत यो तो टेम पे देखाँगा पण एक खास वात केवा को मन करी रियो हे. म्हें आपती पूछणो चाऊँ हूँ कि म्हें भारतीय लोगाँ के देशप्रेम वाते कणी कारगिल,मुम्बई धमाका,१५ अगस्त,२६ जनवरी,वर्ल्ड-कप की जीत की दरकार क्यूँ वे हे. आपने कदि कोई गाँधी चईये,कोई अन्ना हजारे.आज एक डोकरो आपके यो बतावा के कि आप भारतवासी हो भूखो-प्यासो बेठ्यो हे.म्हें अपणा गली-मोहल्ला,शहर,गाँव और देश को ध्यान आखा ३६५ दन क्यूँ नी राखा हाँ ? क्यूँ ई रैलियाँ निकली री हे ई,नारा लगी रिया हे,तिरंगा लई के आखो कुनबो चौराया पे अई ग्यो हे.म्हें वीज लोग हाँ जो स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस का दन टीवी पे वई रिया झण्डावंदन और राष्ट्रगीत को प्रसारण म्हें लोग पोहा-जलेबी खाता खाता देखाँ और अपणी कुर्सी ती ऊबा भी नी वाँ हाँ ? तो केवा की वात याज हे कि अन्ना बा को अनशन बेकार नी जाणो चईजे. म्हें केवा वाते भारतीय नी-मन ती भारतीय वणाँ.अधिकार वाते जागरूकता हे तो कर्तव्य को ध्यान भी राखणो चईजे. अन्ना बा का जज्बा के सलाम हे पण आगे को काम आम आदमी के देखणो हे. नी तो या देशप्रेम की आंधी फ़ुस्स वई जायगा.देशप्रेम ३६५ दन और और २४ घंटा को वेणो चावे,जद अन्ना बा को त्याग काम आवेगा.

लोग कईं केगा:
आज धुर में लट्ठ् में बाँची लो मंदसौर का मालवी-मानुष भानु दवे की नानी बारता: घरे राते पामणा आया.घर में उंदरा रो राज.आटो-दाल नी थो.कई करतो ? रातेज वाण्या के अठे घर में पड़ी एकली आटा घूँदवा की छोटी परात दई ने आयो ने आटो-दाल लायो.पामणाने जिमायो.नी जिमातो तो लोग कई केता ?




Thursday 7 July 2011

संजय पटेल के मालवी स्तंभ धुर में लट्ठ की नई कड़ी



















मालवा की सरसत माता शालिनी जीजी

जणी दन पेम-पट्टी लई के भणवा-लिखवा को पेलो दन वे वणीज दन मालवा की एक बड़ी शख्सियत पद्मश्री शालिनी ताई मोघे बैकुंठ वास सिधारिग्या. सौ कम दो का शालिनीजीजी म्हाणा मालवा का सरसत मात था.
कम पईसा लई के अच्छी शिक्षा घर घर में कसतर पोंचे अणी वाते जीजी म्होटो काम कर्यो.अठे इन्दौर का अलावा जोबट जेसा आदिवासी अंचल में भी ताई का करिस्माई कारनामा के म्हें जाणा हाँ. सबती म्होटी वात वणाकी सादगी थी. दो वरस पेला जद इन्दौर में वणाको नागरिक सम्मान वियो वणी दन भी या ममता की मूरत अपणी मराठा सूती साड़ी में मंच पे बिराजमान थी. वणाका हजारो विद्यार्थी सम्मान कारज में आया था ने शालिनी जीजी के पाँवधोक करी रिया था. आज जद इन्दौर विद्या बेचवा की म्होटी मंडी वई ग्यो हे शालिनीजीजी के याद करी के श्रध्दा ती माथो झुकी जावे हे. यो मालवा और खासकर इन्दौर को बड़भाग हे कि अठे दासगुप्ता साब,डेविड साब,बड़ी टीचर पद्मनाभन और शालिनी ताई सरीखा विद्या का दानदाता विया ने वणाए चार-चार पीढ़ी के शिक्षा दान को पावन कार्य कर्यो.धुर में लट्ठ को मुजरो अणाँ हगरा लोगाँ के.

कठे गी वा प्यार भरी चिट्ठी !

आज जिनगी और कारोबार की आखी चिट्ठी-पत्री ई-मेल पे अई गी हे. रई-सई कसर अणी कर्ण-पिसाच(मोबाइल)का माय भराया एस.एम.एस.करी दे हे. एक जमानो तो जद अपणा गाम ती दाना-बूढ़ा खत लिखता तो वठे का आखा दुख-सुख को आँखो द्ख्यो हाल हामे अई जातो थो.कठे गमी वी हे,माताजी री पूजा कणी दन वेगा,खेत में बुवई वई गी हे,कणी रा अठे छोरो व्यो,कणी घर में गमी वई गी हे यो आखो लेखो-जोखो एक नानका पोश्टकारड पे अई जातो थो. लिखवा वारी बेन-बेटी वेती तो बाँचता-बाँचता आँख्याँ भिंगई जाती. लिखवा वारा को भी एक श्टाइल वेतो.सुरु वेती अपरंच अठे समाचार ती ने चिट्ठी जठे खतम वेती वठे नर्मदे हर ! सुखी रहो ! और जय द्वारिकाधीश,खुदा हाफ़िज़ लिख्योज रेतो.एक पक्का टेम पे डाकिया बाबू आवता ने अपण हगरा वणी टेम पे बेसब्र रेता कि आज अपणी कोई चिट्ठी डाकिया दादा लाया की नी. डाकिया बाबू ती भी अपण लोगाँ का घरू रिस्ता वई जाता. वी अपणा घर रा हगरा लोगाँ के जाणता ने जणी का नाम की चिट्ठी वेती वणी को नाम लई के केता कि आज तो बाबूजी री चिट्ठी अई हे.आज जीजी बई की राखी अई गी हे. गमी की चिट्ठी को पोश्टकारड खूणाँ ती फ़ट्यो थको रेतो ने वणी में कारी साई ती हरूफ़ लिख्या रेता. हाथ की लिखी गमी की चिट्ठी में वाचवा वारा का मन में भी वसीज पीड़ा रेती जस तर अपणा घर में गमी वी हे. तीन दन बाद घाटा-नुक्ता-बारमा ने गोरनी की चिट्ठी आखो कुनबो हाथे बेठी के लिखतो. आज गमी री चिट्ठी भी मसीन ती छपवा लागी. पेला आपने याद वेगा कि राखी रा दन छुट्टी का बाद भी डाकिया बाबू अपणी जीजी-बई की चिट्ठी लई के आ पधारता ने अपण भी वणाके राजी खुसी चा-पाणी करता नीं तो ईनाम देता.दादा रामनारायणजी उपाध्याय,पं.भवानीप्रसाद मिश्र,पहल का संपादक ज्ञानरंजन और दादा बालकवि बैरागी की ताबड़तोब चिट्ठी-पत्री के आज जमानो याद करे. दादा बालकविजी तो आज भी हवेरे चार-पाँच वजे अपणा डाबा हाथ ती कम ती कम पचास-पिचोत्तर पोश्टकारड लाल-डिब्बा में न्हाके.जद वी लिखे अतरी तो नरी डाक वणाका आँगण भी आवे.यो तो जीवन को लेण-देण हे साब.आज ईमेल और समस में ऊ चिट्ठी को मीठोपण और सस्पैंस कोनी रियो जो लिफ़ाफ़ा में बंद चिट्ठी में रेतो थो.आज आदमी उतावल में हे. हामे पड़्यो मोबाइल उठायो ने वात करी ली.चिट्ठी लिखवा में टेम चावे ने पछे वणी के पोस्ट/कुरियर करवा के वजार जाणो पड़े.तो म्हें अब चीजाँ के बदली रिया हाँ और दोस दई रिया हाँ कि जमानो अब वेसो नी रियो.भई तम भी तो बदली ग्या हो.जीवन की तसल्ली,आसूदगी और मन की सांति अपणा हात तीज दाँव पे लगई रिया हाँ.कठे एक लतीफ़ो बाँच्यो थो कि ठामड़ा साफ़ करवा वारी बई जदे एक दन काम पे नी अई तो दूसरा दन सेठाणीजी ने पूच्छो कि कारे रामप्यारी तू काले अई कोनी ने खबर भी नी भेजी ? तो रामप्यारी बेन बोल्या बई साब आपये फ़ेसबुक पे म्हारो स्टेटस नी देख्यो ? म्हें वणी पे लिखी दियो थो कि म्हें डबल धमाल देखवाने जई री हूँ !



साब की कूकी सरकारी इसकूल में:

तमिलनाडु का इरोड जिल्ला का का पंचायत का प्रायमरी इसकूल में पेली जुलाई का दन जो माँ-बाप अपणा बच्चाहोण का प्रवेस खातिर कतार में उबा था वणा में जिला का कलेक्टर साब आर.आनंदकुमार और वणाकी धरमपत्नी श्रीविद्या भी था. स्कूल का माड़साब हमज्या कि आज साब दोरा पे आया हे तो वी प्रधान-अध्यापकजी के बुलई लाया.दुआ-सलाम विया बाद जद साब ती बात वी तो मालम पड्यो कि साब अपणी बेटी गोपिका के सरकारी इसकूल में भर्ती करावा के आया हे.जतरा भी दूसरा ऊबा था वणाकी कान के विश्वास कोनी की म्होटा साब री कूकी अपणा टाबरा-टाबरी हाते भणेगा.दो-चार पत्रकार भी पोंच्या तो कलेक्टर साब ने क्यो “नो कमेंट्स” जादा कुरेदवा पे अतरोज बोल्या कि म्हें भी सरकारी इसकूल में भण्यो ने आई.ए.एस.वण्यो तो म्हारी नानकी भी अठे क्यूँ नी अई सके हे.आज जद म्हें देखी रिया हाँ कि म्होटा साब लोग का छोरा-छोरी दमखम ती नामचीन इसकूल में भणे-लिखे हे तो आनंदकुमारजी का अणी इरादा के सलाम करवा को जी चावे हे.

Tuesday 28 June 2011

संजय पटेल का मालवी स्तंभ धुर में लट्ठ> नई क़िस्त.

















मच्छु चाचा की मोटर:

मुकाम : गाँव सैलाना(जिलो:रतलाम) मोटर इश्टैण्ड पे एक म्होटी मोटर ऊबी है. मोटर को माडल पुराना जमानो को डॉज हे. आज जसतर टेम्पो ट्रेवलर आवे हे वतरी मोटी.गाड़ी का मालिक और ड्रायवर हे मच्छु चाचा. दानाबूढ़ा,बच्चा-बच्ची हगरा वणाने मच्छु चाचा के हे.मच्छु चाचा बरात और दीगर काम ती सवारी लावा-लई जावा को काम तो करताज पण वणाको बखाण धुर में लट्ठ पे करवा को कारण हे कि सैलाना (सैलाना के म्हें रतलाम आड़ी का लोग हल्लाणा भी काँ हाँ )में कोई मनख मांदो पड़ी जातो तो उके रतलाम नी तो इन्दौर लावा-लई जावा को काम मच्छु चाचा बेझिझक करता. वी खुद मुसलमान था पण वी मरीज का घरवाळाहोण से नी पूछता कि मरीज अमीर है-गरीब,मुसलमान हे हिन्दू . बस मोटर इश्टार्ट करी ने न्हाक दियो गियर इन्दौर आड़ी. कतरा परिवार वेगा सैलाना में जिनका परिवार को माफ़िक दवा-दारू ने इलाज मच्छु चाचा की डॉज गाड़ी का हस्ते वियो ने जान वंची.आज जद में सड़क पे म्होटी म्होटी एम्बुलेंस देखूँ तो म्हने मच्छु चाचा की याद अई जावे. कमीज,चूड़ीदार और गला में रूमाल राखवावारा मच्छु बा अबे नी रिया पण वणाकी दानत और अच्छई आज तक जिन्दा है.मच्छु चाचा जेस नरा दयालु लोग,बाग,सरदारपुर,मनावर,कुक्षी,बड़वानी,अंजड़,खेतिया,धार,कन्नोद,मक्सी,जावरा,सीतामऊ जैसा दीगर ठिकाणा पे भी होयगा जणा का नाम दूसरो वेगा पण इंसानियत का तकाजा मच्छु चाचा सरीखाज वेगा. आज जद अपण सेर में देखी रिया हाँ कि पाड़ोस में खूनमखार वई जावे ने लोग बाण्डे नी आवे ने कणी दुखियारा ने अस्पताल पोंचावा में झिझके तो वगर भण्या मच्छु चाचा इंसानियत का पीएचडी नजर आवे हे.

जलसा में जलवो:

महानायक बच्चनजी री वऊ एस्वर्या रा पग भारी हे. आखो देस ने वणीकी टीवी चैनल चिंता करी री हे कि जलसा में झूलो बंधावा की खुसी अई हे. अच्छी वात हे,कणी को वंस वदे तो म्हाने भी खुसी वे.पण म्हने या वात समझ नी पड़ी री हे कि अणी अतरा म्होटा मुलक में जठे कदम कदम पे समस्या का रंडापा हे वठे एक हीरोइन की जचकी में टीवी चैनल्स को अतरो अंदर उतरवा को कई कारण हे.म्हाने कारण यो नजर आवे हे कि अणाँ बापड़ा चैनल वारा होण का पास कोई खबर ईज कोनी. अन्ना को अनसन वई ग्यो.बाबा रामदेवजी पाछा आश्रम में अई ग्या.घोटाळा तो जनता ऊबी गी हे तो अबे चैनल मुसालो कई परोसे ? तो चलो साब ऐस्वर्या बई को जापो लई लो.म्हारा ख्याल ती अमिताभजी ने जया बई अपणी लाड़ी की अतरी चिंता नी करी रिया वेगा जतरी ई चैनल्स करी री हे. वी कई खावे,दवई ले,वणाने कतरा मईना चाली रिया हे...म्हें भी धुर में लट्ठ आड़ी ती यो हमीचार जलसा पे पोंचावाँ हाँ कि कदि जलवा पूजन पे मालवी लोकगीत गावा वाते लुगायाँ चावे तो तैयार हे . जलसा में जापो ने जलवा में मालवी गीत...वाह ! कई मजमो वेगा साब.अपण मालवावासी भी अणी जचकी वाते तैयार हाँ और मोको पड्यो तो जापा का लाडू भेजवा की तैयारी भी राखाँ हाँ.

भींजवा को न्योतो:

असाढ़ महीनो सबाब पे हे. इंदर राजा अपणी पूरी मेहरबानी पे आया कोनी. करसाण भई चिंता भी करी रिया हे पण नीली छतरी वाळा दाता के वणाकी जादा चिंता हे ने वी एकदम टेम पे झमाझम वरसेआ अणी में दो मत कोनी. इण झमाझम में पाणी की कसर पूरी वई जायगा. खास वात आपसे केवाकी या हे कि आजकल देखवा में अई रियो हे कि माता-बेनाँ अपणा टाबरा-टाबरी के पाणी में खेलवा से रोके. म्हें आप जद अपणा बाळपण में था तो या आजादी रेती थी कि पाणी वरसताज आँगण नी तो छत पे जई की खूब तरबतर वेता था. चिल्लाता था..पाणी बाबो आयो –ककड़े भुट्टा लायो....पण अबे तो आज रा जमाना रा छोरा छोरी तो नवा नवा नखरा करे. अरे पाणी को आणो तो कुदरत की किरपा बरसवा की पावती हे जीजी. इण छोरा छोरी होण के रोको मत ..भींजवा को .या बदन की तरावत मन में पोंचेगा तो वी जाणेगा कि कुदरत को करिस्मो कई वे वे. आपकी कालोनी का मूँगा मूँगा न्हावा का वी कईं के शॉवर रा नीचे ऊ मजो कठे जो सीधा आसमान ती उतरी री बूँदा में भींजवा ती मिले हे. इंदर राजा का नखरा को कारण यो भी वई सके हे कि वी सोची रिया हे कि म्हें वरसूँ ने म्हारा स्वागत करवा के लोग-लुगाँयाँ तो सड़क पे उतरेज कोनी ?मजो जद हे जद पाणी बाबो बरसे,मनवो हरसे,फ़ेर भींजवा का बाद आप म्हाँकी भाभी रा हात रा झन्नाट भुज्जा खावो ने चाय का सबड़का लो. यो अमोलक आंणद वरसाद में ज मिले हे. कदि आप सास्त्री संगीत सुणवा को मजो लेता हो तो पं.भीमसेन जोशी,उस्ताद अमीर खाँ साब को मिया मल्हार ने मेघ हुणो. देखो तो सरी ई राग-रागिनियाँ मौसम का मिजाज का साथ केसो अनोखो मजो देवे हे. म्हने आपरी मेफ़ल ने हाते भुज्जा रा न्योता रो इंतजार हे..बुलई रिया हो कि नी ?

जोग-लिखी:
-२५ जून का दन म.प्र.लेखक संघ,महेसर ने निमाड़ी का घणा मानेता कवि,साहित्यकार दादा बाबूलालजी सेन की वरसी पे एक मजमो कर्यो.अच्छी वात हे भई लोग..अपणा दानाबूढ़ा साहित्यकार के याद करणो अपणो फरज हे.

-जद आपती आगळी मुलाक़ात वेगा वणी टेम जुलाई महीनो लगी जायगा. इण महीणा में मदनमोहन जसा लाजवाब संगीतकार और अमर गायक मो.रफ़ी सा. अपण सब ती बिछड्या था. अपण कई कराँ कि इण महान कलाकाराँ कि वरसी का दन विविध भारती हुणी लाँ ने वी छुट्टी. धुर में लट्ठ अरज करे हे कि आप आखा महीना में जद भी टेम मिले मदनमोहन और रफ़ी साब को संगीत हुणो.कसा बेमिसाल गीत दई ग्या हे ई दोई अपणी श्रोता-बिरादरी के.

Wednesday 8 June 2011

संजय पटेल के मालवी स्तंभ लट्ठ की नई कड़ी


पेरीन काकी म्हें थाँके साते हाँ:

होमी दाजी मजदूराँ वाते जो कर्यो हे ऊ कणी री पावती रो मोहताज कोनी. एक जमानो थो के पं.नेहरू दाजी री बात के तवज्जो देता था. आज दाजी म्हाँका बीच कोनी ने वणाकी जीवन-सखी पेरीन दाजी भण्डारी मिल रा पुल रो नाम दाजी पे वे असी मांग करी री हे. म्हें आखा मालवा का लोगाँ की आड़ी ती यो भरोसो पेरीन काकी ने देणो चावाँ हाँ कि सरकार एक पुल रो नाम दाजी रा नाम पे नी राखेगा तो भी दाजी की मूरत म्हाँका मन में अम्मर रेवेगा. दाजी ये मजदूर आंदोलन वाते जो कर्यो हे ऊ अमोलक हे.म्हाँ हगरा होमी दाजी ने पेरीन काकी थाँकी कुरबानी के सलाम करा हाँ.

कबीरी रंग में डूब्यो मालवो:

मालव माटी रा सपूत दादा पेलादसिंह टिपानिया पदमसिरी तो हुई ग्या पण ऊँका अलावा वणाए एक ओर म्होटो काम यो कर्यो हे कि वी पाछला वरस ती आखा मालवा में एक कबीर यात्रा निकाली रिया हे. कबीर की फ़कीरी की बारा में जादा बोलवा की दरकार कोनी पण पेलाद दादा ये अणी मजमा में जुदा-जुदा रंग में कबीरी गीत गावा वारा कलाकार नोतवा को जो म्होटो काम कर्यो हे ऊ गजब को हे साब. गुजरात,राजस्थान,बंगाल,महाराष्ट्र का नामी कलाकार मालवा में घूम्या ने दाता कबीर की चादर का रंग में लोगाँ के भिगोया वा कमाल रो काम हे. म्हारा सेर इन्दौर में भी या यात्रा आई थी पण हाँची कूँ टिपानियाजी का गाम लूनियाखेड़ी रा हल-बख्खर चल्या खेत में बेठी के कबीर सुणवा जो आणंद आयो ऊ ठंडी मसीन (ए.सी) वारा हाल में नी थो.

कबीरबानी का माहौल में म्हारी वात घणामानेता संगीतकार पं.स्वतंत्रकुमार ओझा ती वी. वी बोल्या कि कबीर को पेलो रेकॉर्ड सतीनाथ मुखर्जी री आवाज में आयो थो. पछे पं.ओंकारनाथजी ठाकुर,जुथिका रॉय,शांता सक्सैना,सी.एच.आत्मा,लक्ष्मी शंकर रा बाद आकाशवाणी इन्दौर का जाना-माना कलाकार पं.राजेन्द्र शुक्ल रा कबीरी पद को जलवो भी बिखर्यो थो. पं.कुमार गंधर्व ये कबीर के मालवी में गावा को चोखो काम कर्यो ने वणाने अणी काम वाते खूब मान भी मिल्यो.मालवा हाउस री बेहाली वात अपण बाद में कराँगा पण राजेन्द्र शुक्ल जसा बेजोड़ गावा वारा ने आखो मालवो भूली ग्यो यो ठीक नी हे. ओझाजी,शुक्ल,नरेन्द्र पण्डित,रामकिशन चंदेश्री,रामचंद्र वर्मा.एस.के.पाड़गिल,सुमन दाण्डेकर,रंजना रेगे जसा नामी ने सुरीला कलाकार कठे है,कई करी रिया हे,ठा कोनी. हुए नामवर बेनिशाँ कैसे कैसे,जमी खा गई आसमाँ कैसे कैसे ?

गर्मी की छुट्याँ ने नानेरो:

अबे कदी इम्तेयान वई जाय ने कदी गर्मी री छुट्याँ अई जाय;मालम नी पड़े,पेलाँ छुट्याँ वेताज अपण आपणा नानेरा में जाता रेता.आम रस,सैवैया,कुल्फ़ी,बरफ़ का लड्डू री फ़रमाइसाँ वेती ने नाना-नानी खुसी खुसी अपणा नवासा-नवासी री वात राखता. अबे परीच्छा वेताज दूसरी कक्षा री भणई-लिखई सुरू वई जाय ने जद छुट्टी वे तो टाबरा-टाबरी कम्प्यूटर गेम,टीवी,मोबाइल का साते अपणो टेम गुजारे.बाकी कसर आईपीएल जेसा चोचला करी दे. पेला नाटक-नाच का सिविर वेता था.छुपा-छई री धूम वेती थी. पाँच्या,चोपड़,कैरम,सितोलिया जसा देसी रमकड़ा था; पण अबे आखो जमानो मसीनी वई ग्यो हे. रिस्ता भी मसीनी वई ग्या हे. और हाँ अणाज छुटुयाँ का दन में आपणा चौका में अचार-लूँजी री खुसबू री रंगत जमती थी,अबे हगरा अथाणा पैक बंद आवा लाग ग्या. कैरी चूसवा का दन तो लोग भूलीज ग्या हे. रसना,कोको-कोला,पेप्सी का जमाना में ठंडई और नीबू की सिकंजी ठंड़ी पड़ी गी हे. इण चीजाँ रा हाते अपण घर-परिवार री गप्पा गोष्ठी भी भूली ग्या हाँ. भगवान भलो करे अणी जमाना रो...वी दन दूर नी जद सूरज-पूजन,जलवा पूजन,मांण्डवो,रातीजोगो,गोरनी,बत्तीसी,मायरो जैसा कारज का बाराँ में बतावा वारा लोग अपणा कने नी वेगा.लोग के हे कि कम्प्यूटर गूगल बाबा हगरी जानकारी राखे.जरा अणा जगत-ज्ञानीजी ती अणा कारज को अर्थ तो पूछो..म्हारा खयाल ती गूगल बाबा रा माजना का काँकरा वई जायगा.

आनंदा बा री याद:

आपने जै राम जी की कूँ वणी का पेला आज अपण
मालवी कविता का दादा बा आनंदरावजी दुबे री
एक नानकड़ी कविता बाँची लाँ.मुलाहिजो फ़रमाओ:

या प्रेम प्यार और हिलण-मिलण की है पगडंडी
इण पर भैया नित-नित हम चल्या कराँ
नी तो इण पर अहंकार और तिरस्कार की
बेल कटीली,घास पात उगी आवेगी
और आने वाली पीढ़ी ईंके साफ़ कईं कर पावेगी ?

Tuesday 3 May 2011

मालवी में संजय पटेल का स्तंभ>धुर में लट्ठ>19 अप्रैल




कोरी वाताँ ती कई नीं वेगो:
आपका लाड़का पाना नईदुनिया की मिजवानी में अण्णा हजारे का अनसन का बाद आम आदमी के कई करणो चईजे,अणी वाते एक कार्यक्रम को आयोजन रख्यो थो. नरा मनख आया;पण म्हारी जिम्मेदारी कई वई सके अणी को पे म्हारो बेटो कोई नी बोल्यों.हगरा लोग राजनेता-अफ़सर असा हे ; वसा हे, यो इल्जाम वणा पे न्हाकता रिया ने भ्रष्टाचार को ठीकरो वणाँ पे फ़ोड़ता रिया.अण्णा बा का अनसन का बाद देखवा री वात या है कि म्हें एक आम आदमी का रूप में खुद कई करी सकाँ. आज भी हम अपणा स्वारथ और गलत काम करवा का वाते पैसा खिलई के काम करवाणो चावाँ हाँ. या आदत छोड़नी पड़ेगा. और दमदार वात या है कि अपण के अपणो जीवन अपणा बाप-दादा होण जैसो करणो पड़ेगा जो नी तो एसी में सुता था और नी मूँगी मूँगी मोटर में घूमता था. रूखी-सुखी खई के द्वारकाधीस का भजन करता था ने ठहाको लगाता. अबे ठहाका बंद वई ग्या हे ने म्हें लोग दूसरा लोगाँ पे दाँत काड़वा का काम में मगन हाँ. “म्हे कई करी सकूँ” जद तक या बात सुरू नी वेगा वणी टेम तक गाँधी टोपी को मान नी वदेगा.

गाम-गाम मालवी/निमाड़ी जाजम:
नवा विक्रम संवत का सुरूआत का दन उज्जैन में डॉ.शैलेन्द्रकुमार शर्मा ये मालवी दिवस मनावा वाते एक हऊ कार्यक्रम कालीदास अकादमी में कर्यो .मालवी दिवस सुरू वे या आछी वात हे पण एक दन का मांडवा ती कई नी वेगा. रतलाम,मंदसौर,धार,देवास,उज्जैन, नीमच जसा म्होटा मालवी ने खरगोन,बड़वानी,खण्डवा,महेश्वर,सेंधवा जस निमाड़ी का जो थानक हे वठे मालवी/निमाड़ी जाजम सुरूआत करणी पड़ेगा. महीना में एक बार भी मालवी/निमाड़ी लिखवा-भणवा वारा भेला वई के बातचीत को सिलसिलो सुरू करेगा तो अपणी बोली की चमक में बढोत्तरी वेगा. सबती बड़ी चिंता री वात या है कि सन नब्बे का बाद पैदा विया छोरा/छोरी अपणी बोली का संपर्क मेंज कोनी. वणा का घर का मालवी/निमाड़ी दाना-बूढ़ा बोलवावारा दाना-बूढ़ा अबे बैकुंठवासी वई ग्या हे ने अपणी बोली भी वणाँ का फ़ूल का साते नरबदाजी में समई गी हे. तो टेम हे चेतवा को बिना पईसा,मदद और तामझाम के महीना का एक दीतवार के भी जाजम को काम सुरू वई ग्यो तो बोली की धमक पाछी अई जायगा.भूली नी जाऊँ;उज्जैन को यो मजमो कवि झलक निगम की याद में वणा को नानी श्वेतिमा निगम ये कर्यो थो ने वणी में खास वात या थी कि भू.पू.सांसद डॉ.सत्यनारायण जटिया भी मालवी में बोल्या.



मालवी का ई अमोलक पाका पान:
अबार मोको असो आयो कि घणा दनाँ का बाद मालवी का चार-पाँच घणामानेता कवि एक मंच पे था. पं.मदनमोहन व्यास,नरहरि पटेल,सुल्तान मामा,मोहन सोनी ने शिव चौरसिया. म्हें महसूस कर्यो को ई हगरा मालवी सेवक अबे सत्तर पार का वई ग्या हे. म्हें लोगाँ को फरज हे कि कणी भी तरे से अणी लोगाँ और नरेन्द्रसिंह तोमर,बालकवि बैरागी जसा दो चार जो भी म्होटा नाम हे वणा की खासमखास कविता/गीत की वीडियो रेकॉर्डिंग को दस्तावेजीकरण वेणो चावे. अब आप सोचो कि आप किस तर पन्नालालजी नायाब,श्रीनिवास जोशी,सूर्यनारायण व्यास,आनंदराव दुबे,भावसार बा,सिध्देश्वर सेन,गिरिवरसिंह भँवर,हरीश निगम को काम नवी पीढ़ी के दिखावगा ? (म्हने मालम पड़ी हे कि जद आकाशवाणी का नंदाजी कृष्णकांतजी दुबे जाता रिया तो वणा पे के श्रध्दांजली कार्यक्रम तैयार करवा वाते जूना टेप लादवा में मालवा हाउस का लोगाँ को पेट को पाणी हिली ग्यो थो ) टेम जई रियो हे.आप यो मत सोचो कि सरकार को संस्कृति विभाग अणी काम कोई ध्यान देगा. अणी काम के म.भा.हिन्दी साहित्य समिति और मालवा उत्सव करवा वारा शंकर लालवाणी जसा लोगाँ के सोचणो पड़ेगा नी तो ......? रामा जी रईग्या ने रेल जाती री !

जोग-लिखी:
-मालवी का गध्य पितामह स्व.श्रीनिवासजी जोशी की नवी किताब तुम युग-युग की पहचानी सी को सूरज-पूजन(विमोचन) पुण में मराठी अभिनेत्री शकुंतलाजी रा हस्ते वियो.
-सन २०११ को भेराजी सम्मान मालवी-सेवी डॉ.श्यामसुंदर निगम ने निमाड़ी युवा साहित्यकार शिशिर उपाध्याय के उज्जैन में दियो गयो. दोई के धुर में लट्ठ की बधई !
-लूनियाखेड़ी ती १७ अप्रैल का दन सुरू वी मालवा कबीर यात्रा १९ अप्रैल के देवास,२० के शाजापुर,२१ के पचौर(राजगढ़)२२ के नीमच,२३ के पेटलावद ने २४ के इन्दौर अई री हे. राजस्थानी,गुजराती,बांग्ला,छत्तीसगढ़ी रंग में कबीर के हुणवा को यो म्होटो मोको हे. टेम निकाली के आप अणी जलसा में पधारजो असी दादा पेलादसिंहजी टिपानिया की मनुहार हे.
-बैसाख सुदी छठ (२३ अप्रैल) की रात ८ बजे रतलाम में हल्ला-गुल्ला साहित्य मंच भई जुझारसिंह भाटी का सूत्र-संचालन में खाँपा कवि सम्मेलन की मिजवानी,बालाजी पुष्प वाटिका मेंदीकुई पे वई री हे.

टीप (१) तावड़ो तेज वेतो जई रियो हे. अपणो जाप्तो राखजो.ने हाँ अबार तीज पाणी बचावा को नेक काम सुरू करी दीजो. अणी काम में म्हाँकी जीजी/भाभी/काकी सा. की खास मदद दरकार हे.
(२) मालवी-निमाड़ी का मजमाहोण की जानकारी आप देता रीजो;म्हें धुर में लट्ठ राजीखुसी छापांगा.

Sunday 1 May 2011

नईदुनिया में संजय पटेल का साप्ताहिक स्तंभ"धुर में लट्ठ"-12 अप्रैल


हजारे बा तमने आख्याँ खोली दी !
यो डोकरो रोटी-पाणी छोड़ी के देस की सरकार के हिलई देगा एसो अदाज तो नी थो.
अस्सी का उप्पर जई के असो जोस ! भारी करी हजारे बा.तमारो यो अनसन म्हाँकी आख्याँ खोली ग्यो हे. पिछला हफ़्ता में पान की घुमटी,चौराया,ओटला,चाय का ठिया पे एक कीज नाम चल्यो …अण्णा हजारे.लोकपाल बिल वास्ते सरकार झुकीगी हे और खबर हे कि अण्णाजी री हगरी माँगा मंजूर वई जायगा. देस की आजादी का बाद यो पेलो मोको थो जद आम आदमी अपणा हक वाते अतरो चौकन्नो थो. पण अण्णा की जिद चली और सरकार के बात माननी पड़ी. अणी अनसन के जनता के समर्थन मिलवा को खास कारण यो थो कि अण्णाजी ये नेताहोण के अपणा मंच ती ताड़ी द्यो.नेता भी अणी जगे भेला वई जाता लोग केता दादा या वाज नौटंकी हे. म्हें आम आदमी का वास्ते अणी अनसन का बाद सोचवा की वात या हे कि म्हें सगळा भी अपणा सेहर-गाम में जो भी गलत काम वे वणी के नजरअंदाज नी कराँ.म्हने कई करणॊ हे;म्हारा काकाजी को कई जई रियो हे;अणी नजरिया ती उबराँ.ई ईमेल/एस.एम.एस.अटने-वटने करवा ती कई नी वेगा दादा.अपण अण्णा सरीखो कई कारनामो करी सकाँ या सोचणे को बखत अई ग्यो हे. आपणे भी चेतनो पड़ेगा नी तो और कई नी वेगा ने हजारे ब्रांड की मोमबत्ती बजार में जरूर अई जावेगा.

चौराया पे उतावल में ई केसरीमलजी
म्हारो इन्दौर सेर घणो न्यारो हे साब.आखा मालवा-निमाड़ की शान केवाय हे अहिल्या माताजी की या नगरी. अणी सहर को खास मिजाज यो हे कि अठे का मोटर-इस्कूटर वाळा घणी उतावल में रे है. असो लागे हे कि जतरा भी सिगनल पे ऊबा हे हगरा तोरण मारवा के जई रिया हे. बापणा चिंता करे कि देरम-देर मे चोघड्यो नी चूकी जाय. आपने भरोसो नी वे तो म्हाँका चौराया पे नजर डाली लो.लाल बत्ती वे तो गाड़ी रोकी ले.केसरिया को मतलब यो हे कि आप तैयार वई जाओ,हरी चमकेगा.पण म्हारा सेर का प्यारा प्यारा लोग केसरिया वी कि ई ग्या ने वी ग्या. असी धमचक करे हे कि अणा के मोटर-इश्कूटर का ओलंपिक में मेल तो म्हारा बेटा सोना को तमगो लई आवे.म्हारो मन के कि ई यातायात पुलिस वाळा केसरिया बत्ती हेड़ी के अपणा थाणा में क्यूँ नी लगई ले और नी तो जो भी “केसरीमल” दीखे उके रोकी के भरी धूप में उठक-बैठक करई ले.

मोरारी बापू और राहत की सायरी.
अपणा इन्दौर का जाना-मान्या सायर डॉ.राहत इन्दौरी और मोरारी बापू की कई बराबरी ? नी बराबरी तो नी है पण देस का अणी सूफ़ी संत मोरारी बापू ऊर्दू सायरी का घणा प्रेमी है. अपणी कथा में अदम,वसीम बरेलवी,बशीर बद्र,दुष्यंतकुमार और खास कर डॉ.राहत इन्दौरी की सायरी को शहद जेसी मिठास घोले हे. बापू ने हजारो शेर याद हे ने वी कई मोका पे राहत भई के अपणी कथा में न्योतो दे ने पछे कथा का बाद अपणी कुटिया में आखी आखी रात राहत की सायरी को मजो लेवे हे. रामचरितमानस और सायरी को यो सामेलो पूरणपोली में घी को काम करे हे. चलो म्हें भी आज धुर में लट्ठ पे राहत भई के बधई लाँ;

Sunday 16 January 2011

थोड़ी-घणी:घोड़ा मरग्या,गधा को राज आयो

देश का प्रमुख हिन्दी दैनिक और मालवा का शब्द-प्रहरी नईदुनिया मालवी की बड़ी नेक ख़िदमत कर रहा है.
प्रत्येक सोमवार को थोड़ी घणी शीर्षक के स्तंभ में मालवी-निमाड़ी रचनाओं का प्रकाशन नियमित रूप से होता है.थोड़ी-घणी के ज़रिये कई नये लिखने वालों को अपनी बात कहने का मंच मिला है और ख़ासकर मालवी-निमाड़ी ग़ज़ल को मुकम्मिल स्थान मिलना शुरू हो गया है. कोशिश रहेगी कि हर हफ़्ते आपको थोड़ी-घणी की लिंक दे दिया करूं जिससे मालवी जाजम के पाठक थोड़ी-घणी का रसास्वादन भी कर सकें....आप सभी को नये साल और मकर संक्रांति की राम राम.

आइये बाँच लेते हैं 10 जनवरी की थोड़ी-घणी(नईदुनिया)