Friday 29 February 2008

आज पढिये वेद हिमांशु के मालवी हाईकू

वेद हिमाशु शुजालपुर मे रेवे हे.खूब अच्छो लिखे हे..मालवी में , हिन्दी में.
आज बाँचो वेद हिमांशु का मालवी हाईकू.थोड़ा सा शब्द हे पण घाव केसो गेरो
करे हे आप भी देखो.

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ऊ पियासो थो
नद्दी में उतरियो
ने डूबी गयो

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घणी उदास
चुपचाप वा देखे
मनी पिलांट

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क्रांति करोगा ?
घर से सुरू करो
जीती जावोगा

Friday 22 February 2008

पहले मालवी कवि-सम्मेलन का दुर्लभ चित्र और श्रीनिवास जोशी की कविता


२४ फ़रवरी के मालवी गद्य का दादा बा श्रीनिवासजी जोशी की दूसरी बरसी हे.
इण मोका पे बाँचो दादा जोशी जी की या कविता पटवारी.इका साथे उज्जैन में सन ५२ में कार्तिक मेळा मे आयोजित पेला मालवी कवि सम्मेलन की फ़ोटू भी हे. इण चित्र में दादा जोशी का साथे मालवी-हिन्दी का घणामानेता कवि बालकविजी बैरागी भी बिराज्या हे.बालकवि जी के २४ फ़रवरी का दन हिन्दी साहित्य समिति को तरफ़ से दूसरो श्रीनिवास जोशी सम्मान दियो जावेगा. पेला आकाशवाणी इन्दौर का नंदाजी श्री कृष्णकांत दुबे सम्मानित हुई चुक्या हे.


नाक पे टूटो सो चाँदी को चस्मो हे
जीर्ण शीर्ण स्वेटर को बरस यो दसमो हे
स्वेटर की कटी जेब से बंडी भी मुसकाय हे
मटमैली धोती की चुप्पी भी मन के खाय हे

हाथ में सुपारी को छोटो सो कटको हे
सरोता की गत में मीठो सो लटको हे
सामे की मिसल पे पान पड्यो हाँसे हे
डोकरा बेठा खूणा में खाँसे हे

तमाकू ने लोंग को मुंडा में झगड़ो हे
अफ़सर का दोरा को भी रगड़ो हे
पतिव्रता पत्नी जेसी पीकदानी ऊबी हे
घर में वईं परबारज रसोई में डूबी हे

फ़ीता-झंडा जरीब खूणा में सोया है
पटवारी गप्पा में आज खूब खोया हे
सारो गाँव योज के , पटवारी जी हे महान
पटवारी जी जेसी नीं यां कोई ग्यानवान हे

गाव में जद बी होय खून ने लठ्ठमारी
खेत खळा में होवे लड़ई की तैयारी
बात बढे़ गाँव डरे होवे जद हठ भारी
एकदम सब चिल्लाय पटवारी..पटवारी

पुलिस का ज अफ़सर जेसा,होवे ई सरकारी
खसरो लईने झड़ पोंचे मौका पे पटवारी
ऐसा हे पटवारी ऐसा हे इनका काम
इका सेज सब झुके ,सब करे सलाम

मुँछ की मुँछ ने पटवारी जद हाँसे
बात की बात में आसामी वी फ़ाँसे
काळू होय...धोळू होय, नीं तो होय हरिराम
पटवारी की बात जादू को करे काम

वाँ जाओ , वो लाओ सुणतेज सब दौड़े
अंटी से पेसा बी हाँ ने वी छोड़े
पटवारी इस्वर हे पटवारी हे दाता
नीं तो हम साँची काँ..कदी का मरी जाता

ऊपर से मजो यो के माथा पे सब लईने
बड़ी बड़ी आँख्यां पे चस्मो जमई ने
धीरे से पटवारी बाताँ जद सुरू करे
सब मिली ने सुणनेवाळा केवे हरे-हरे

अफ़सर हूण आवे हे, आड़ा दन या होळी पे
नाक में दम व्हे भई, प्राण टंग्या वे सूळी पे
खसरा हूण भरणा हे, जमाबंदी अई गी हे
क़लम घिसते घिसते नजर मंदे हुई गी हे

जनम भर ए ग्रेड भत्ता को नाम नीं
रात-दन मरता रो पण पूरो होय काम नीं
फ़िरे बी अपणों जोर हे सदा काम करणे पर
सब फ़ल का दाता हे - परमात्मा...परमेश्वर

सुण्यो भई अपणा ई हाकिम सब नवा हे
नवो यो जमानो हे ने ई नया धारा गवा हे
हम अपणाँ राजा हाँ यो अपणों राज हे
केसी अच्छी वात करे ई पटवारी महाराज हे.


मालवी का पूत दादा श्रीनिवासजी जोशी पे एक लेख संजय पटेल ने लिख्यो हे..आप याँ बाँची सको हो..www.joglikhisanjaypatelki.blogspot.com