Thursday 7 July 2011

संजय पटेल के मालवी स्तंभ धुर में लट्ठ की नई कड़ी



















मालवा की सरसत माता शालिनी जीजी

जणी दन पेम-पट्टी लई के भणवा-लिखवा को पेलो दन वे वणीज दन मालवा की एक बड़ी शख्सियत पद्मश्री शालिनी ताई मोघे बैकुंठ वास सिधारिग्या. सौ कम दो का शालिनीजीजी म्हाणा मालवा का सरसत मात था.
कम पईसा लई के अच्छी शिक्षा घर घर में कसतर पोंचे अणी वाते जीजी म्होटो काम कर्यो.अठे इन्दौर का अलावा जोबट जेसा आदिवासी अंचल में भी ताई का करिस्माई कारनामा के म्हें जाणा हाँ. सबती म्होटी वात वणाकी सादगी थी. दो वरस पेला जद इन्दौर में वणाको नागरिक सम्मान वियो वणी दन भी या ममता की मूरत अपणी मराठा सूती साड़ी में मंच पे बिराजमान थी. वणाका हजारो विद्यार्थी सम्मान कारज में आया था ने शालिनी जीजी के पाँवधोक करी रिया था. आज जद इन्दौर विद्या बेचवा की म्होटी मंडी वई ग्यो हे शालिनीजीजी के याद करी के श्रध्दा ती माथो झुकी जावे हे. यो मालवा और खासकर इन्दौर को बड़भाग हे कि अठे दासगुप्ता साब,डेविड साब,बड़ी टीचर पद्मनाभन और शालिनी ताई सरीखा विद्या का दानदाता विया ने वणाए चार-चार पीढ़ी के शिक्षा दान को पावन कार्य कर्यो.धुर में लट्ठ को मुजरो अणाँ हगरा लोगाँ के.

कठे गी वा प्यार भरी चिट्ठी !

आज जिनगी और कारोबार की आखी चिट्ठी-पत्री ई-मेल पे अई गी हे. रई-सई कसर अणी कर्ण-पिसाच(मोबाइल)का माय भराया एस.एम.एस.करी दे हे. एक जमानो तो जद अपणा गाम ती दाना-बूढ़ा खत लिखता तो वठे का आखा दुख-सुख को आँखो द्ख्यो हाल हामे अई जातो थो.कठे गमी वी हे,माताजी री पूजा कणी दन वेगा,खेत में बुवई वई गी हे,कणी रा अठे छोरो व्यो,कणी घर में गमी वई गी हे यो आखो लेखो-जोखो एक नानका पोश्टकारड पे अई जातो थो. लिखवा वारी बेन-बेटी वेती तो बाँचता-बाँचता आँख्याँ भिंगई जाती. लिखवा वारा को भी एक श्टाइल वेतो.सुरु वेती अपरंच अठे समाचार ती ने चिट्ठी जठे खतम वेती वठे नर्मदे हर ! सुखी रहो ! और जय द्वारिकाधीश,खुदा हाफ़िज़ लिख्योज रेतो.एक पक्का टेम पे डाकिया बाबू आवता ने अपण हगरा वणी टेम पे बेसब्र रेता कि आज अपणी कोई चिट्ठी डाकिया दादा लाया की नी. डाकिया बाबू ती भी अपण लोगाँ का घरू रिस्ता वई जाता. वी अपणा घर रा हगरा लोगाँ के जाणता ने जणी का नाम की चिट्ठी वेती वणी को नाम लई के केता कि आज तो बाबूजी री चिट्ठी अई हे.आज जीजी बई की राखी अई गी हे. गमी की चिट्ठी को पोश्टकारड खूणाँ ती फ़ट्यो थको रेतो ने वणी में कारी साई ती हरूफ़ लिख्या रेता. हाथ की लिखी गमी की चिट्ठी में वाचवा वारा का मन में भी वसीज पीड़ा रेती जस तर अपणा घर में गमी वी हे. तीन दन बाद घाटा-नुक्ता-बारमा ने गोरनी की चिट्ठी आखो कुनबो हाथे बेठी के लिखतो. आज गमी री चिट्ठी भी मसीन ती छपवा लागी. पेला आपने याद वेगा कि राखी रा दन छुट्टी का बाद भी डाकिया बाबू अपणी जीजी-बई की चिट्ठी लई के आ पधारता ने अपण भी वणाके राजी खुसी चा-पाणी करता नीं तो ईनाम देता.दादा रामनारायणजी उपाध्याय,पं.भवानीप्रसाद मिश्र,पहल का संपादक ज्ञानरंजन और दादा बालकवि बैरागी की ताबड़तोब चिट्ठी-पत्री के आज जमानो याद करे. दादा बालकविजी तो आज भी हवेरे चार-पाँच वजे अपणा डाबा हाथ ती कम ती कम पचास-पिचोत्तर पोश्टकारड लाल-डिब्बा में न्हाके.जद वी लिखे अतरी तो नरी डाक वणाका आँगण भी आवे.यो तो जीवन को लेण-देण हे साब.आज ईमेल और समस में ऊ चिट्ठी को मीठोपण और सस्पैंस कोनी रियो जो लिफ़ाफ़ा में बंद चिट्ठी में रेतो थो.आज आदमी उतावल में हे. हामे पड़्यो मोबाइल उठायो ने वात करी ली.चिट्ठी लिखवा में टेम चावे ने पछे वणी के पोस्ट/कुरियर करवा के वजार जाणो पड़े.तो म्हें अब चीजाँ के बदली रिया हाँ और दोस दई रिया हाँ कि जमानो अब वेसो नी रियो.भई तम भी तो बदली ग्या हो.जीवन की तसल्ली,आसूदगी और मन की सांति अपणा हात तीज दाँव पे लगई रिया हाँ.कठे एक लतीफ़ो बाँच्यो थो कि ठामड़ा साफ़ करवा वारी बई जदे एक दन काम पे नी अई तो दूसरा दन सेठाणीजी ने पूच्छो कि कारे रामप्यारी तू काले अई कोनी ने खबर भी नी भेजी ? तो रामप्यारी बेन बोल्या बई साब आपये फ़ेसबुक पे म्हारो स्टेटस नी देख्यो ? म्हें वणी पे लिखी दियो थो कि म्हें डबल धमाल देखवाने जई री हूँ !



साब की कूकी सरकारी इसकूल में:

तमिलनाडु का इरोड जिल्ला का का पंचायत का प्रायमरी इसकूल में पेली जुलाई का दन जो माँ-बाप अपणा बच्चाहोण का प्रवेस खातिर कतार में उबा था वणा में जिला का कलेक्टर साब आर.आनंदकुमार और वणाकी धरमपत्नी श्रीविद्या भी था. स्कूल का माड़साब हमज्या कि आज साब दोरा पे आया हे तो वी प्रधान-अध्यापकजी के बुलई लाया.दुआ-सलाम विया बाद जद साब ती बात वी तो मालम पड्यो कि साब अपणी बेटी गोपिका के सरकारी इसकूल में भर्ती करावा के आया हे.जतरा भी दूसरा ऊबा था वणाकी कान के विश्वास कोनी की म्होटा साब री कूकी अपणा टाबरा-टाबरी हाते भणेगा.दो-चार पत्रकार भी पोंच्या तो कलेक्टर साब ने क्यो “नो कमेंट्स” जादा कुरेदवा पे अतरोज बोल्या कि म्हें भी सरकारी इसकूल में भण्यो ने आई.ए.एस.वण्यो तो म्हारी नानकी भी अठे क्यूँ नी अई सके हे.आज जद म्हें देखी रिया हाँ कि म्होटा साब लोग का छोरा-छोरी दमखम ती नामचीन इसकूल में भणे-लिखे हे तो आनंदकुमारजी का अणी इरादा के सलाम करवा को जी चावे हे.