Wednesday 8 June 2011

संजय पटेल के मालवी स्तंभ लट्ठ की नई कड़ी


पेरीन काकी म्हें थाँके साते हाँ:

होमी दाजी मजदूराँ वाते जो कर्यो हे ऊ कणी री पावती रो मोहताज कोनी. एक जमानो थो के पं.नेहरू दाजी री बात के तवज्जो देता था. आज दाजी म्हाँका बीच कोनी ने वणाकी जीवन-सखी पेरीन दाजी भण्डारी मिल रा पुल रो नाम दाजी पे वे असी मांग करी री हे. म्हें आखा मालवा का लोगाँ की आड़ी ती यो भरोसो पेरीन काकी ने देणो चावाँ हाँ कि सरकार एक पुल रो नाम दाजी रा नाम पे नी राखेगा तो भी दाजी की मूरत म्हाँका मन में अम्मर रेवेगा. दाजी ये मजदूर आंदोलन वाते जो कर्यो हे ऊ अमोलक हे.म्हाँ हगरा होमी दाजी ने पेरीन काकी थाँकी कुरबानी के सलाम करा हाँ.

कबीरी रंग में डूब्यो मालवो:

मालव माटी रा सपूत दादा पेलादसिंह टिपानिया पदमसिरी तो हुई ग्या पण ऊँका अलावा वणाए एक ओर म्होटो काम यो कर्यो हे कि वी पाछला वरस ती आखा मालवा में एक कबीर यात्रा निकाली रिया हे. कबीर की फ़कीरी की बारा में जादा बोलवा की दरकार कोनी पण पेलाद दादा ये अणी मजमा में जुदा-जुदा रंग में कबीरी गीत गावा वारा कलाकार नोतवा को जो म्होटो काम कर्यो हे ऊ गजब को हे साब. गुजरात,राजस्थान,बंगाल,महाराष्ट्र का नामी कलाकार मालवा में घूम्या ने दाता कबीर की चादर का रंग में लोगाँ के भिगोया वा कमाल रो काम हे. म्हारा सेर इन्दौर में भी या यात्रा आई थी पण हाँची कूँ टिपानियाजी का गाम लूनियाखेड़ी रा हल-बख्खर चल्या खेत में बेठी के कबीर सुणवा जो आणंद आयो ऊ ठंडी मसीन (ए.सी) वारा हाल में नी थो.

कबीरबानी का माहौल में म्हारी वात घणामानेता संगीतकार पं.स्वतंत्रकुमार ओझा ती वी. वी बोल्या कि कबीर को पेलो रेकॉर्ड सतीनाथ मुखर्जी री आवाज में आयो थो. पछे पं.ओंकारनाथजी ठाकुर,जुथिका रॉय,शांता सक्सैना,सी.एच.आत्मा,लक्ष्मी शंकर रा बाद आकाशवाणी इन्दौर का जाना-माना कलाकार पं.राजेन्द्र शुक्ल रा कबीरी पद को जलवो भी बिखर्यो थो. पं.कुमार गंधर्व ये कबीर के मालवी में गावा को चोखो काम कर्यो ने वणाने अणी काम वाते खूब मान भी मिल्यो.मालवा हाउस री बेहाली वात अपण बाद में कराँगा पण राजेन्द्र शुक्ल जसा बेजोड़ गावा वारा ने आखो मालवो भूली ग्यो यो ठीक नी हे. ओझाजी,शुक्ल,नरेन्द्र पण्डित,रामकिशन चंदेश्री,रामचंद्र वर्मा.एस.के.पाड़गिल,सुमन दाण्डेकर,रंजना रेगे जसा नामी ने सुरीला कलाकार कठे है,कई करी रिया हे,ठा कोनी. हुए नामवर बेनिशाँ कैसे कैसे,जमी खा गई आसमाँ कैसे कैसे ?

गर्मी की छुट्याँ ने नानेरो:

अबे कदी इम्तेयान वई जाय ने कदी गर्मी री छुट्याँ अई जाय;मालम नी पड़े,पेलाँ छुट्याँ वेताज अपण आपणा नानेरा में जाता रेता.आम रस,सैवैया,कुल्फ़ी,बरफ़ का लड्डू री फ़रमाइसाँ वेती ने नाना-नानी खुसी खुसी अपणा नवासा-नवासी री वात राखता. अबे परीच्छा वेताज दूसरी कक्षा री भणई-लिखई सुरू वई जाय ने जद छुट्टी वे तो टाबरा-टाबरी कम्प्यूटर गेम,टीवी,मोबाइल का साते अपणो टेम गुजारे.बाकी कसर आईपीएल जेसा चोचला करी दे. पेला नाटक-नाच का सिविर वेता था.छुपा-छई री धूम वेती थी. पाँच्या,चोपड़,कैरम,सितोलिया जसा देसी रमकड़ा था; पण अबे आखो जमानो मसीनी वई ग्यो हे. रिस्ता भी मसीनी वई ग्या हे. और हाँ अणाज छुटुयाँ का दन में आपणा चौका में अचार-लूँजी री खुसबू री रंगत जमती थी,अबे हगरा अथाणा पैक बंद आवा लाग ग्या. कैरी चूसवा का दन तो लोग भूलीज ग्या हे. रसना,कोको-कोला,पेप्सी का जमाना में ठंडई और नीबू की सिकंजी ठंड़ी पड़ी गी हे. इण चीजाँ रा हाते अपण घर-परिवार री गप्पा गोष्ठी भी भूली ग्या हाँ. भगवान भलो करे अणी जमाना रो...वी दन दूर नी जद सूरज-पूजन,जलवा पूजन,मांण्डवो,रातीजोगो,गोरनी,बत्तीसी,मायरो जैसा कारज का बाराँ में बतावा वारा लोग अपणा कने नी वेगा.लोग के हे कि कम्प्यूटर गूगल बाबा हगरी जानकारी राखे.जरा अणा जगत-ज्ञानीजी ती अणा कारज को अर्थ तो पूछो..म्हारा खयाल ती गूगल बाबा रा माजना का काँकरा वई जायगा.

आनंदा बा री याद:

आपने जै राम जी की कूँ वणी का पेला आज अपण
मालवी कविता का दादा बा आनंदरावजी दुबे री
एक नानकड़ी कविता बाँची लाँ.मुलाहिजो फ़रमाओ:

या प्रेम प्यार और हिलण-मिलण की है पगडंडी
इण पर भैया नित-नित हम चल्या कराँ
नी तो इण पर अहंकार और तिरस्कार की
बेल कटीली,घास पात उगी आवेगी
और आने वाली पीढ़ी ईंके साफ़ कईं कर पावेगी ?

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