Tuesday 28 June 2011

संजय पटेल का मालवी स्तंभ धुर में लट्ठ> नई क़िस्त.

















मच्छु चाचा की मोटर:

मुकाम : गाँव सैलाना(जिलो:रतलाम) मोटर इश्टैण्ड पे एक म्होटी मोटर ऊबी है. मोटर को माडल पुराना जमानो को डॉज हे. आज जसतर टेम्पो ट्रेवलर आवे हे वतरी मोटी.गाड़ी का मालिक और ड्रायवर हे मच्छु चाचा. दानाबूढ़ा,बच्चा-बच्ची हगरा वणाने मच्छु चाचा के हे.मच्छु चाचा बरात और दीगर काम ती सवारी लावा-लई जावा को काम तो करताज पण वणाको बखाण धुर में लट्ठ पे करवा को कारण हे कि सैलाना (सैलाना के म्हें रतलाम आड़ी का लोग हल्लाणा भी काँ हाँ )में कोई मनख मांदो पड़ी जातो तो उके रतलाम नी तो इन्दौर लावा-लई जावा को काम मच्छु चाचा बेझिझक करता. वी खुद मुसलमान था पण वी मरीज का घरवाळाहोण से नी पूछता कि मरीज अमीर है-गरीब,मुसलमान हे हिन्दू . बस मोटर इश्टार्ट करी ने न्हाक दियो गियर इन्दौर आड़ी. कतरा परिवार वेगा सैलाना में जिनका परिवार को माफ़िक दवा-दारू ने इलाज मच्छु चाचा की डॉज गाड़ी का हस्ते वियो ने जान वंची.आज जद में सड़क पे म्होटी म्होटी एम्बुलेंस देखूँ तो म्हने मच्छु चाचा की याद अई जावे. कमीज,चूड़ीदार और गला में रूमाल राखवावारा मच्छु बा अबे नी रिया पण वणाकी दानत और अच्छई आज तक जिन्दा है.मच्छु चाचा जेस नरा दयालु लोग,बाग,सरदारपुर,मनावर,कुक्षी,बड़वानी,अंजड़,खेतिया,धार,कन्नोद,मक्सी,जावरा,सीतामऊ जैसा दीगर ठिकाणा पे भी होयगा जणा का नाम दूसरो वेगा पण इंसानियत का तकाजा मच्छु चाचा सरीखाज वेगा. आज जद अपण सेर में देखी रिया हाँ कि पाड़ोस में खूनमखार वई जावे ने लोग बाण्डे नी आवे ने कणी दुखियारा ने अस्पताल पोंचावा में झिझके तो वगर भण्या मच्छु चाचा इंसानियत का पीएचडी नजर आवे हे.

जलसा में जलवो:

महानायक बच्चनजी री वऊ एस्वर्या रा पग भारी हे. आखो देस ने वणीकी टीवी चैनल चिंता करी री हे कि जलसा में झूलो बंधावा की खुसी अई हे. अच्छी वात हे,कणी को वंस वदे तो म्हाने भी खुसी वे.पण म्हने या वात समझ नी पड़ी री हे कि अणी अतरा म्होटा मुलक में जठे कदम कदम पे समस्या का रंडापा हे वठे एक हीरोइन की जचकी में टीवी चैनल्स को अतरो अंदर उतरवा को कई कारण हे.म्हाने कारण यो नजर आवे हे कि अणाँ बापड़ा चैनल वारा होण का पास कोई खबर ईज कोनी. अन्ना को अनसन वई ग्यो.बाबा रामदेवजी पाछा आश्रम में अई ग्या.घोटाळा तो जनता ऊबी गी हे तो अबे चैनल मुसालो कई परोसे ? तो चलो साब ऐस्वर्या बई को जापो लई लो.म्हारा ख्याल ती अमिताभजी ने जया बई अपणी लाड़ी की अतरी चिंता नी करी रिया वेगा जतरी ई चैनल्स करी री हे. वी कई खावे,दवई ले,वणाने कतरा मईना चाली रिया हे...म्हें भी धुर में लट्ठ आड़ी ती यो हमीचार जलसा पे पोंचावाँ हाँ कि कदि जलवा पूजन पे मालवी लोकगीत गावा वाते लुगायाँ चावे तो तैयार हे . जलसा में जापो ने जलवा में मालवी गीत...वाह ! कई मजमो वेगा साब.अपण मालवावासी भी अणी जचकी वाते तैयार हाँ और मोको पड्यो तो जापा का लाडू भेजवा की तैयारी भी राखाँ हाँ.

भींजवा को न्योतो:

असाढ़ महीनो सबाब पे हे. इंदर राजा अपणी पूरी मेहरबानी पे आया कोनी. करसाण भई चिंता भी करी रिया हे पण नीली छतरी वाळा दाता के वणाकी जादा चिंता हे ने वी एकदम टेम पे झमाझम वरसेआ अणी में दो मत कोनी. इण झमाझम में पाणी की कसर पूरी वई जायगा. खास वात आपसे केवाकी या हे कि आजकल देखवा में अई रियो हे कि माता-बेनाँ अपणा टाबरा-टाबरी के पाणी में खेलवा से रोके. म्हें आप जद अपणा बाळपण में था तो या आजादी रेती थी कि पाणी वरसताज आँगण नी तो छत पे जई की खूब तरबतर वेता था. चिल्लाता था..पाणी बाबो आयो –ककड़े भुट्टा लायो....पण अबे तो आज रा जमाना रा छोरा छोरी तो नवा नवा नखरा करे. अरे पाणी को आणो तो कुदरत की किरपा बरसवा की पावती हे जीजी. इण छोरा छोरी होण के रोको मत ..भींजवा को .या बदन की तरावत मन में पोंचेगा तो वी जाणेगा कि कुदरत को करिस्मो कई वे वे. आपकी कालोनी का मूँगा मूँगा न्हावा का वी कईं के शॉवर रा नीचे ऊ मजो कठे जो सीधा आसमान ती उतरी री बूँदा में भींजवा ती मिले हे. इंदर राजा का नखरा को कारण यो भी वई सके हे कि वी सोची रिया हे कि म्हें वरसूँ ने म्हारा स्वागत करवा के लोग-लुगाँयाँ तो सड़क पे उतरेज कोनी ?मजो जद हे जद पाणी बाबो बरसे,मनवो हरसे,फ़ेर भींजवा का बाद आप म्हाँकी भाभी रा हात रा झन्नाट भुज्जा खावो ने चाय का सबड़का लो. यो अमोलक आंणद वरसाद में ज मिले हे. कदि आप सास्त्री संगीत सुणवा को मजो लेता हो तो पं.भीमसेन जोशी,उस्ताद अमीर खाँ साब को मिया मल्हार ने मेघ हुणो. देखो तो सरी ई राग-रागिनियाँ मौसम का मिजाज का साथ केसो अनोखो मजो देवे हे. म्हने आपरी मेफ़ल ने हाते भुज्जा रा न्योता रो इंतजार हे..बुलई रिया हो कि नी ?

जोग-लिखी:
-२५ जून का दन म.प्र.लेखक संघ,महेसर ने निमाड़ी का घणा मानेता कवि,साहित्यकार दादा बाबूलालजी सेन की वरसी पे एक मजमो कर्यो.अच्छी वात हे भई लोग..अपणा दानाबूढ़ा साहित्यकार के याद करणो अपणो फरज हे.

-जद आपती आगळी मुलाक़ात वेगा वणी टेम जुलाई महीनो लगी जायगा. इण महीणा में मदनमोहन जसा लाजवाब संगीतकार और अमर गायक मो.रफ़ी सा. अपण सब ती बिछड्या था. अपण कई कराँ कि इण महान कलाकाराँ कि वरसी का दन विविध भारती हुणी लाँ ने वी छुट्टी. धुर में लट्ठ अरज करे हे कि आप आखा महीना में जद भी टेम मिले मदनमोहन और रफ़ी साब को संगीत हुणो.कसा बेमिसाल गीत दई ग्या हे ई दोई अपणी श्रोता-बिरादरी के.

1 comment:

दिलीप कवठेकर said...

म्हने भी या वात समझ नी पड़ी री हे कि अणी अतरा म्होटा मुलक में जठे कदम कदम पे समस्या का रंडापा हे वठे एक हीरोइन की जचकी में टीवी चैनल्स को अतरो अंदर उतरवा को कई कारण हे.म्हाने कारण यो नजर आवे हे कि अणाँ बापड़ा चैनल वारा होण का पास कोई खबर ईज कोनी.

भोत अच्छे...