Tuesday 3 May 2011

मालवी में संजय पटेल का स्तंभ>धुर में लट्ठ>19 अप्रैल




कोरी वाताँ ती कई नीं वेगो:
आपका लाड़का पाना नईदुनिया की मिजवानी में अण्णा हजारे का अनसन का बाद आम आदमी के कई करणो चईजे,अणी वाते एक कार्यक्रम को आयोजन रख्यो थो. नरा मनख आया;पण म्हारी जिम्मेदारी कई वई सके अणी को पे म्हारो बेटो कोई नी बोल्यों.हगरा लोग राजनेता-अफ़सर असा हे ; वसा हे, यो इल्जाम वणा पे न्हाकता रिया ने भ्रष्टाचार को ठीकरो वणाँ पे फ़ोड़ता रिया.अण्णा बा का अनसन का बाद देखवा री वात या है कि म्हें एक आम आदमी का रूप में खुद कई करी सकाँ. आज भी हम अपणा स्वारथ और गलत काम करवा का वाते पैसा खिलई के काम करवाणो चावाँ हाँ. या आदत छोड़नी पड़ेगा. और दमदार वात या है कि अपण के अपणो जीवन अपणा बाप-दादा होण जैसो करणो पड़ेगा जो नी तो एसी में सुता था और नी मूँगी मूँगी मोटर में घूमता था. रूखी-सुखी खई के द्वारकाधीस का भजन करता था ने ठहाको लगाता. अबे ठहाका बंद वई ग्या हे ने म्हें लोग दूसरा लोगाँ पे दाँत काड़वा का काम में मगन हाँ. “म्हे कई करी सकूँ” जद तक या बात सुरू नी वेगा वणी टेम तक गाँधी टोपी को मान नी वदेगा.

गाम-गाम मालवी/निमाड़ी जाजम:
नवा विक्रम संवत का सुरूआत का दन उज्जैन में डॉ.शैलेन्द्रकुमार शर्मा ये मालवी दिवस मनावा वाते एक हऊ कार्यक्रम कालीदास अकादमी में कर्यो .मालवी दिवस सुरू वे या आछी वात हे पण एक दन का मांडवा ती कई नी वेगा. रतलाम,मंदसौर,धार,देवास,उज्जैन, नीमच जसा म्होटा मालवी ने खरगोन,बड़वानी,खण्डवा,महेश्वर,सेंधवा जस निमाड़ी का जो थानक हे वठे मालवी/निमाड़ी जाजम सुरूआत करणी पड़ेगा. महीना में एक बार भी मालवी/निमाड़ी लिखवा-भणवा वारा भेला वई के बातचीत को सिलसिलो सुरू करेगा तो अपणी बोली की चमक में बढोत्तरी वेगा. सबती बड़ी चिंता री वात या है कि सन नब्बे का बाद पैदा विया छोरा/छोरी अपणी बोली का संपर्क मेंज कोनी. वणा का घर का मालवी/निमाड़ी दाना-बूढ़ा बोलवावारा दाना-बूढ़ा अबे बैकुंठवासी वई ग्या हे ने अपणी बोली भी वणाँ का फ़ूल का साते नरबदाजी में समई गी हे. तो टेम हे चेतवा को बिना पईसा,मदद और तामझाम के महीना का एक दीतवार के भी जाजम को काम सुरू वई ग्यो तो बोली की धमक पाछी अई जायगा.भूली नी जाऊँ;उज्जैन को यो मजमो कवि झलक निगम की याद में वणा को नानी श्वेतिमा निगम ये कर्यो थो ने वणी में खास वात या थी कि भू.पू.सांसद डॉ.सत्यनारायण जटिया भी मालवी में बोल्या.



मालवी का ई अमोलक पाका पान:
अबार मोको असो आयो कि घणा दनाँ का बाद मालवी का चार-पाँच घणामानेता कवि एक मंच पे था. पं.मदनमोहन व्यास,नरहरि पटेल,सुल्तान मामा,मोहन सोनी ने शिव चौरसिया. म्हें महसूस कर्यो को ई हगरा मालवी सेवक अबे सत्तर पार का वई ग्या हे. म्हें लोगाँ को फरज हे कि कणी भी तरे से अणी लोगाँ और नरेन्द्रसिंह तोमर,बालकवि बैरागी जसा दो चार जो भी म्होटा नाम हे वणा की खासमखास कविता/गीत की वीडियो रेकॉर्डिंग को दस्तावेजीकरण वेणो चावे. अब आप सोचो कि आप किस तर पन्नालालजी नायाब,श्रीनिवास जोशी,सूर्यनारायण व्यास,आनंदराव दुबे,भावसार बा,सिध्देश्वर सेन,गिरिवरसिंह भँवर,हरीश निगम को काम नवी पीढ़ी के दिखावगा ? (म्हने मालम पड़ी हे कि जद आकाशवाणी का नंदाजी कृष्णकांतजी दुबे जाता रिया तो वणा पे के श्रध्दांजली कार्यक्रम तैयार करवा वाते जूना टेप लादवा में मालवा हाउस का लोगाँ को पेट को पाणी हिली ग्यो थो ) टेम जई रियो हे.आप यो मत सोचो कि सरकार को संस्कृति विभाग अणी काम कोई ध्यान देगा. अणी काम के म.भा.हिन्दी साहित्य समिति और मालवा उत्सव करवा वारा शंकर लालवाणी जसा लोगाँ के सोचणो पड़ेगा नी तो ......? रामा जी रईग्या ने रेल जाती री !

जोग-लिखी:
-मालवी का गध्य पितामह स्व.श्रीनिवासजी जोशी की नवी किताब तुम युग-युग की पहचानी सी को सूरज-पूजन(विमोचन) पुण में मराठी अभिनेत्री शकुंतलाजी रा हस्ते वियो.
-सन २०११ को भेराजी सम्मान मालवी-सेवी डॉ.श्यामसुंदर निगम ने निमाड़ी युवा साहित्यकार शिशिर उपाध्याय के उज्जैन में दियो गयो. दोई के धुर में लट्ठ की बधई !
-लूनियाखेड़ी ती १७ अप्रैल का दन सुरू वी मालवा कबीर यात्रा १९ अप्रैल के देवास,२० के शाजापुर,२१ के पचौर(राजगढ़)२२ के नीमच,२३ के पेटलावद ने २४ के इन्दौर अई री हे. राजस्थानी,गुजराती,बांग्ला,छत्तीसगढ़ी रंग में कबीर के हुणवा को यो म्होटो मोको हे. टेम निकाली के आप अणी जलसा में पधारजो असी दादा पेलादसिंहजी टिपानिया की मनुहार हे.
-बैसाख सुदी छठ (२३ अप्रैल) की रात ८ बजे रतलाम में हल्ला-गुल्ला साहित्य मंच भई जुझारसिंह भाटी का सूत्र-संचालन में खाँपा कवि सम्मेलन की मिजवानी,बालाजी पुष्प वाटिका मेंदीकुई पे वई री हे.

टीप (१) तावड़ो तेज वेतो जई रियो हे. अपणो जाप्तो राखजो.ने हाँ अबार तीज पाणी बचावा को नेक काम सुरू करी दीजो. अणी काम में म्हाँकी जीजी/भाभी/काकी सा. की खास मदद दरकार हे.
(२) मालवी-निमाड़ी का मजमाहोण की जानकारी आप देता रीजो;म्हें धुर में लट्ठ राजीखुसी छापांगा.

1 comment:

kavita verma said...

nek khyal hai...samay rahte chetna