Sunday 1 May 2011
नईदुनिया में संजय पटेल का साप्ताहिक स्तंभ"धुर में लट्ठ"-12 अप्रैल
हजारे बा तमने आख्याँ खोली दी !
यो डोकरो रोटी-पाणी छोड़ी के देस की सरकार के हिलई देगा एसो अदाज तो नी थो.
अस्सी का उप्पर जई के असो जोस ! भारी करी हजारे बा.तमारो यो अनसन म्हाँकी आख्याँ खोली ग्यो हे. पिछला हफ़्ता में पान की घुमटी,चौराया,ओटला,चाय का ठिया पे एक कीज नाम चल्यो …अण्णा हजारे.लोकपाल बिल वास्ते सरकार झुकीगी हे और खबर हे कि अण्णाजी री हगरी माँगा मंजूर वई जायगा. देस की आजादी का बाद यो पेलो मोको थो जद आम आदमी अपणा हक वाते अतरो चौकन्नो थो. पण अण्णा की जिद चली और सरकार के बात माननी पड़ी. अणी अनसन के जनता के समर्थन मिलवा को खास कारण यो थो कि अण्णाजी ये नेताहोण के अपणा मंच ती ताड़ी द्यो.नेता भी अणी जगे भेला वई जाता लोग केता दादा या वाज नौटंकी हे. म्हें आम आदमी का वास्ते अणी अनसन का बाद सोचवा की वात या हे कि म्हें सगळा भी अपणा सेहर-गाम में जो भी गलत काम वे वणी के नजरअंदाज नी कराँ.म्हने कई करणॊ हे;म्हारा काकाजी को कई जई रियो हे;अणी नजरिया ती उबराँ.ई ईमेल/एस.एम.एस.अटने-वटने करवा ती कई नी वेगा दादा.अपण अण्णा सरीखो कई कारनामो करी सकाँ या सोचणे को बखत अई ग्यो हे. आपणे भी चेतनो पड़ेगा नी तो और कई नी वेगा ने हजारे ब्रांड की मोमबत्ती बजार में जरूर अई जावेगा.
चौराया पे उतावल में ई केसरीमलजी
म्हारो इन्दौर सेर घणो न्यारो हे साब.आखा मालवा-निमाड़ की शान केवाय हे अहिल्या माताजी की या नगरी. अणी सहर को खास मिजाज यो हे कि अठे का मोटर-इस्कूटर वाळा घणी उतावल में रे है. असो लागे हे कि जतरा भी सिगनल पे ऊबा हे हगरा तोरण मारवा के जई रिया हे. बापणा चिंता करे कि देरम-देर मे चोघड्यो नी चूकी जाय. आपने भरोसो नी वे तो म्हाँका चौराया पे नजर डाली लो.लाल बत्ती वे तो गाड़ी रोकी ले.केसरिया को मतलब यो हे कि आप तैयार वई जाओ,हरी चमकेगा.पण म्हारा सेर का प्यारा प्यारा लोग केसरिया वी कि ई ग्या ने वी ग्या. असी धमचक करे हे कि अणा के मोटर-इश्कूटर का ओलंपिक में मेल तो म्हारा बेटा सोना को तमगो लई आवे.म्हारो मन के कि ई यातायात पुलिस वाळा केसरिया बत्ती हेड़ी के अपणा थाणा में क्यूँ नी लगई ले और नी तो जो भी “केसरीमल” दीखे उके रोकी के भरी धूप में उठक-बैठक करई ले.
मोरारी बापू और राहत की सायरी.
अपणा इन्दौर का जाना-मान्या सायर डॉ.राहत इन्दौरी और मोरारी बापू की कई बराबरी ? नी बराबरी तो नी है पण देस का अणी सूफ़ी संत मोरारी बापू ऊर्दू सायरी का घणा प्रेमी है. अपणी कथा में अदम,वसीम बरेलवी,बशीर बद्र,दुष्यंतकुमार और खास कर डॉ.राहत इन्दौरी की सायरी को शहद जेसी मिठास घोले हे. बापू ने हजारो शेर याद हे ने वी कई मोका पे राहत भई के अपणी कथा में न्योतो दे ने पछे कथा का बाद अपणी कुटिया में आखी आखी रात राहत की सायरी को मजो लेवे हे. रामचरितमानस और सायरी को यो सामेलो पूरणपोली में घी को काम करे हे. चलो म्हें भी आज धुर में लट्ठ पे राहत भई के बधई लाँ;
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