Saturday 14 July 2007

कवि मोहन सोनी को गीत

दादा मोहन सोनी उज्जैन में रे हे और मालवी की सेवा करे हे.देस का म्होटा म्होटा मंच पे वणा की चुटकीली कविता/गीत पसंद कर्या जाए हे.चोमासा की बेला में यो गीत आपका मन के स्पर्श करेगा.मालवी की बढोत्तरी का वास्ते यो जरूरी हे की इमें खालिस मालवी शब्द का साथ हम दीगर बोली और भाषा को स्वागत भी कराँ.जेसो सोनीजी इण गीत का आखरी बंद में कर्यो हे..."म्हारा फ़ोटू पे हाथ धर्यो होगा" अब आप महसूस करोगा कि फ़ोटू अंग्रेज़ी को शब्द हुई के भी याँ नी खटकी रियो हे. तो आज मालवी जाजम पे आप मोहन सोनी जी की की पेली पाती.


रई रई के म्हारे हिचक्याँ अ इरी हे
लजवन्ती तू ने याद कर्यो होगा

थारे बिन मोसम निरबंसी लागे
तू हो तो सूरज उगनो त्यागे
म्हारी आँख्यां भी राती वईरी हे
तू ने उनमें परभात भरयो होगा

सुन लोकगीत का पनघट की राणी
थारे बिन सूके (सूखना) पनघट को पाणी
फिर हवा,नीर यो काँ से लईरी हे
आख्याँ से आखी रात झरयो होगा

बदली सी थारी याद जदे भी छई
बगिया की सगळी कली कली मुसकई
मेंहदी की सोरभ मन के भईरी हे
म्हारा फोटू पे हाथ धर्यो होगा.

रई रई के म्हारे हचक्याँ अईरी हे
लजवंती तू ने याद कर्यो होगा

1 comment:

bhairav pharkya said...

then to kehtaa thaa,
ke
"Maalwa ko pyaro bhojan,
dhan makkaa ki raabadee ",
pan,
mhaari nanad baai ka veeraajee !
sayaanee hueegee apnee laadlee.
baatee-choormo unke nee bhaye,
pizza-burger maange ab to,
thaankee nau-saal ki daavadee;
e kaa penlaa ke risaaye Raswantee,
samjhaye tamaaree Laajo-Lajwantee.