Thursday, 20 March 2008

रे मनवा रंग तन,रंग मन,होली आई रंग गुलाल !


रे मनवा रंग तन रंग मन
होली लाई रंग गुलाल।



प्रीत को काजल आँख में आँजो
कारा कारा मन ने चॉंदी सा मॉंजो
पाताला में गाढ़ी दो मलाल

हेत को मंदर कितरो बड़ो है
अंदर जीके सांवरो खड़ो है
श्रम के आगे हार्यो काल

भूख गरीबी को कीचड़ कारो
कई नी है थारो ने कई नी है म्हारो
झूठा है सब जंजाल

एक ऊचो एक नीचो वात पुराणी
भई भई मिली ने भीत गिराणी
हाथा में लइलो कुदाल

भर पिचकारी नवा नवा रंग की
थाप लगा धिन्नाधिंग मिरदंग की
प्रेम अबीर उछाल

झूठ की होली जली जली जावे
सॉंच ने भई कूण आँच लगावे
सॉंच को है ऊंचो भाल


-नरहरि पटेल

1 comment:

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