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Tuesday, 23 August 2011

संजय पटेल को धुर में लट्ठ > नवी मालवी कड़ी !



जीवन की खुशी की पासबुक:
नवा जमाना का दो छोरा छोरी को ब्याव वियो.छोरी की माँ ये बिदई में एक नवा बैंक खाता की पास बुक दी ने हजार रिपया जमा करई दिया. बेटी के ताकीद कई कि या म्हारी आड़ी ती नवा लाड़ा-लाड़ी वाए नेगचार हे. जद भी थाँकी जिन्दगी कोई खुसखबर आवे,जतरा वई सके पईसा जमई करई सको.ध्यान राखजो,जतरी बड़ी खुसी वतरा जादा पईसा.जद थें अणी पास बुक ने दस-बीस साल बाद देखोगा तो थाँने गुमान वेगो कि कतरी खुशी थें दोई का जीवन में अई थी. टेम बीतवा लागो;पाँच-छे वरस बाद वणाकी पास-बुक में असी नोंद(एंट्री): व्याव की पेली सालगिरह:१०००/-बेटी की पेली तनखा वदी: ५००/-,जमईजी ko को प्रमोशन:२०००/-परदेस में छुट्टी बितई:२०००/-
बेटी वी:५०००/-कई वरस बीत ग्या.दोई में मनमुटाव सुरू वई ग्यो. दोई एक दूसरा ती कुटावा लाग ग्या.पुरानो प्रेम गुमी ग्यो.दोई सोचवा लग्या कि ब्याव करी के गलती वई गी. दोई सोच्यो के अबे तलाक लई लेणो चईजे. छोरी ये माँ ती बात कीदी. माँ बोली कई वात नी,मन नी मिले तो हाते क्यूँ रेणो. पण एक काम करो कि म्हने जो पास बुक थाँने दी थी वणी खाता में ती हगरा पईसा निकाली लो.जद हाते नी रेणो तो जाइंट अकांउट कई काम को.दोई खातो बंद करावा का वास्ते बैंक ग्या. वठे भीड़ घणी. काउंटर पे उबा-उबा दोई ये सोच्यो चलो आज अणी पास बुक की जतरी एंट्री हे वणी पे एक नजर न्हांक लाँ. जतरी रिपया जमा कर्या था वणी का पाछे एक खुसी थी. वा खुसी बीतता टेम में खोवई गी थी. एंट्री देखता-देखता वा खुसी जाणे दोई का हामे अई ने ऊबी वईगी. दोई की आँख्याँ भींजी गी.मैनेजर साब बोल्या अई जाओ;बंद करी दूँ.दोई बोल्या नी खातो नी बंद करनो हे खातो चालू रखनो हे.दोई ये खाता में ५०००/-रिपया जमा कराया ने पास बुक की वणी एंट्री पे लिख्यो जीवन भर साथ रेवा की खुशी.

या देशप्रेम की आंधी:
आखा देस में एक नवो तूफ़ान अई ग्यो हे. भ्रष्टाचार का खिलाफ़ आवाज उठावा वास्ते आम आदमी सड़क पे हे. अन्ना बा वठे रामलीला मैदान पे जम्या हे ने वणाको अनशन जारी हे.आजादी का बाद यो पेलो मोको हे जद आप,म्हें हगरा सोची रिया हे कि यो मुलक अपणो हे.देशप्रेम की आँधी चली री हे. फ़िरंगीहोण का जावा का बाद यो पेलो मोको हे जद एक दूसरो गाँधी बाबो देशप्रेम को अलख जगई रियो हे. अब यो कतरो सई हे-गलत यो तो टेम पे देखाँगा पण एक खास वात केवा को मन करी रियो हे. म्हें आपती पूछणो चाऊँ हूँ कि म्हें भारतीय लोगाँ के देशप्रेम वाते कणी कारगिल,मुम्बई धमाका,१५ अगस्त,२६ जनवरी,वर्ल्ड-कप की जीत की दरकार क्यूँ वे हे. आपने कदि कोई गाँधी चईये,कोई अन्ना हजारे.आज एक डोकरो आपके यो बतावा के कि आप भारतवासी हो भूखो-प्यासो बेठ्यो हे.म्हें अपणा गली-मोहल्ला,शहर,गाँव और देश को ध्यान आखा ३६५ दन क्यूँ नी राखा हाँ ? क्यूँ ई रैलियाँ निकली री हे ई,नारा लगी रिया हे,तिरंगा लई के आखो कुनबो चौराया पे अई ग्यो हे.म्हें वीज लोग हाँ जो स्वतंत्रता दिवस,गणतंत्र दिवस का दन टीवी पे वई रिया झण्डावंदन और राष्ट्रगीत को प्रसारण म्हें लोग पोहा-जलेबी खाता खाता देखाँ और अपणी कुर्सी ती ऊबा भी नी वाँ हाँ ? तो केवा की वात याज हे कि अन्ना बा को अनशन बेकार नी जाणो चईजे. म्हें केवा वाते भारतीय नी-मन ती भारतीय वणाँ.अधिकार वाते जागरूकता हे तो कर्तव्य को ध्यान भी राखणो चईजे. अन्ना बा का जज्बा के सलाम हे पण आगे को काम आम आदमी के देखणो हे. नी तो या देशप्रेम की आंधी फ़ुस्स वई जायगा.देशप्रेम ३६५ दन और और २४ घंटा को वेणो चावे,जद अन्ना बा को त्याग काम आवेगा.

लोग कईं केगा:
आज धुर में लट्ठ् में बाँची लो मंदसौर का मालवी-मानुष भानु दवे की नानी बारता: घरे राते पामणा आया.घर में उंदरा रो राज.आटो-दाल नी थो.कई करतो ? रातेज वाण्या के अठे घर में पड़ी एकली आटा घूँदवा की छोटी परात दई ने आयो ने आटो-दाल लायो.पामणाने जिमायो.नी जिमातो तो लोग कई केता ?