
दन नागपंचमी को ने तारीख हे आज १८ अगस्त.हिन्दी कविता का घणामानेता कवि डाँ शिवमंगलसिंहजी सुमन को जनम दन.सुमनजी उज्जेण आया ने आखा मालवी मनख वई गिया. नरहरि पटेलजी की मालवी गीत की किताब सिपरा के किनारे में एक गीत सुमन जी पे हे...आज बाँचां और इण मालवी आत्मा के याद कराँ...मुजरो पेश कराँ.
सुमनजी! वागाँ में पधारया जाणे दुनिया में वास उडी़
नाम झगरपुर रोप लगायो,काची पाकी कलियाँ से लाड़ लड़ायो
सुमनजी ! पोथी में लिखाया,जाणे जिवड़ा में प्रीत जड़ी
मनख प्रेम का ओ भंडारी,मणियाँ लुटाई खोल पिटारी
सुमनजी ! बोले मीठा बोल जाणे घी में मिसरी डली
मालव धरती गेर गंभीरी, शिवमंगल की मन की नगरी
सुमनजी ! उज्जेणी में रम्या जाणे जोगीड़ा की जोग धुणी
ओ रे सुमन तू गरूवर प्यारो, देस धरम को कवि मनखारो
सुमनजी ! गुण का पारस कर दे लोवा ने सोन कडी़.
इण चिट्ठा का साते जो फ़ोटू हे वो सन १९९४ को हे जिणमें सुमनजी पटेलजी के भेराजी सम्मान दई रिया हे.
लिखी:संजय पटेल